MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
माइकल एंजलो, (michelangelo) संगमरमर की एक दुकान के सामने से अक्सर गुजरते थे। एक दिन उन्होंने दुकानदार से पूछा- “तुमने दुकान के उस तरफ रास्ते के किनारे एक बड़ा संगमरमर का पत्थर डाल रखा है। कई बरस से देखता हूं। उसे बेचते क्यो नहीं?”
दुकानदार ने कहा- “वह बिकता नहीं। पत्थर बेकार है। मैंने तो आशा ही छोड़ दी। कोई चाहे तो मुफ्त में तो ले जाए। ढोने का खर्च भी मैं दे दूंगा। तुम पूछने आये हो, तुम्ही ले जाओ। झंझट मिटे और जगह खाली हो!”
माइकल एंजलो पत्थर ले गया। कोई साल बीतने के बाद एक दिन माइकल एंजलो ने दुकानदार से आकर पूछा- “मेरे घर चलोगे? कुछ दिखाने योग्य है! ले गया दुकानदार को। दुकानदार ने देखा जो, आंखों से आनंद के आंसू बहने लगे।“
MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
माइकल एंजलो ने उस पत्थर में जो प्रतिमा गढ़ी थी, वह है जीसस की प्रतिमा और मरियम की। जीसस को मरियम ने सूली से उतारा है। जीसस की लाश को मरियम अपने हाथों में लिए बैठी है! कहते हैं ऐसी अदभुत प्रतिमा दूसरी नहीं है।
कुछ सालों पहले एक पागल आदमी ने इसी प्रतिमा को रोम में हथौड़ा मारकर तोड़ दिया। जब उससे पूछा गया-यह तूने क्या किया? तूने जगत की श्रेष्ठतम कृति नष्ट कर दी!
उसने कहा- “जैसे माइकलएंजलो का नाम प्रसिद्ध था, अब मेरा भी नाम प्रसिद्ध रहेगा। उसने बनाई, मैंने मिटाई। वह बना सकता था, मैं बना नहीं सकता, लेकिन मिटा तो सकता हूं!”
HINDI SHORT STORY
किसी देश के निर्माण के लिए भूमि, सीमा, सेना, जनता, सरकार, संस्कृति की जरूरत होती है, मगर इसके साथ-साथ हीरोज की भी। किसी देश के इतिहास, धर्म, राजनीति और ज्ञान के पुरोधा हीरो बनाकर पेश किये जाते है। ऐसे हीरो जो अगली पीढ़ियों को गौरवान्वित करते हो, राष्ट्र की महानता और उच्चता, उसके आदर्श में आस्था जगाते हों। इन हीरो की छवि, उनका जीवन, अगली पीढ़ी के नए नागरिक के मन मे मूरत की तरह बस जाती है। वे हीरो देश के सिंबल हो जाते हैं।
यह सच है कि किवदन्तीकरण की इस प्रक्रिया में कई अर्धसत्य और ऊल जलूल महिमामंडन भी जुड़े हुए मिल सकते हैं। असल स्टेट्समैन उन मूरतों को ,वैसा ही छोड़कर वर्तमान और भविष्य पर ध्यान लगाते हैं।
अफ़सोस ,प्रतिभा के अभाव में कुंठित लोग, प्रतिभाशून्य होने के कारण, कुछ अच्छा बना तो सकते नहीं, इसीलिए वो नई पीढ़ी के दिल में बसी पुरानी मूरतों को तोड़ रहे है। झूठ का हथौड़ा बदस्तूर बरस रहा है।
जो लोग बना नहीं सकते, वे मिटाने में लग जाते हैं। सृजन कठिन है, विध्वंस आसान। विध्वंस की ये कोशिशें सफल हों, या असफल। इतिहास इन्हें याद रखेगा, उस ‘पागल आदमी’ की तरह, जिसने माइकल एंजलो की मूर्ति पर हथौड़ा चलाया था।
और हां, तमाम कोशिश के बावजूद उसका नाम याद नही रखा गया। उसे “वो पागल आदमी” ही कहा जाता है।
COMPILED BY IMROZ FARHAD
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IMROZ FARHAD NOOR is a co-founder and chief blogger of NEEROZ. He studied English Literature and Journalism. A number of articles, stories, short stories, poems have been published in reputed magazines and newspapers. He writes scripts for short movies, web series. He has been a radio announcer.He loves to read Psychology and Philosophy. He spends his spare time in drawing and playing basketball. He loves to travel. He speaks Hindi, English, and Urdu. ( learning Spanish ).