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THE SOCIAL DILEMMA
डाक्यूमेंट्री शब्द सुनकर ही किसी सब्जेक्ट पर बनी फ़िल्म के दर्शक बहुत सीमित हो जाते हैं लेकिन THE SOCIAL DILEMMA ( docudrama or documentary drama ) कई मायनों में अन्य से अलग है और इस टेक्नोलॉजी से चलने वाली ( tech driven ) दुनिया को कौन से लोग और कंपनी चला रहे हैं। ये आप पर, आपके परिवार और पूरी दुनिया पर क्या प्रभाव डाल रहा है इसे समझने के लिए THE SOCIAL DILEMMA देखना अनिवार्य हो जाता है।
कैलिफ़ोर्निया ( अमेरिका ) में बैठे 50 युवा ( उम्र 20 से 35 साल ) ये तय कर रहे हैं कि दुनिया के दो अरब लोगों को उनके फ़ोन के social media feed पर क्या दिखाई देगा। क्या विश्व में, इतिहास में कभी कोई शासक, राजा या सेना इतनी शक्तिशाली हुई है जो 2 अरब ( 2 billion ) लोगों को नियंत्रित करे?
बहुत लोगों को ऐसा लग सकता है कि social media companies तो हमें एक सुविधा देती हैं, एक टूल देती हैं, जिसे हम अपनी मर्ज़ी से, जब चाहें, जितना चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं और ये बात सही भी है लेकिन ये डॉक्यूड्रामा THE SOCIAL DILEMMA एक्सपर्ट्स, रिसर्च, फैक्ट्स और लॉजिक्स के साथ आपको बताती है कि social media किस कदर हमारे और आपके मस्तिष्क को नियंत्रित कर रही है और कैसे इससे पूरा विश्व एक बड़े ख़तरे की तरफ़ बढ़ रहा है।
THE SOCIAL DILEMMA REVIEW
THE SOCIAL DILEMMA के ड्रामा वाले हिस्सों में एक परिवार है जिनके 3 बच्चों में से सबसे बड़ी बेटी है जो फ़ोन और social media से दूर रहना पसंद करती है। एक हाई स्कूल में पढ़ रहा बेटा है, जिसके ओपिनयन और फ्रेंडशिप में social media की लत की वजह से नुकसानदायक परिस्थितियां बन रही हैं। सबसे छोटी बेटी मिडल स्कूल में है और social media पर सबसे ज़्यादा एक्टिव है।
फिल्ममेकर Jeff Orlowski ने इस डॉक्यूड्रामा में सॉफ्टवेयर ( software ), सोशल मीडिया ( social media ) और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र के दिग्गजों ( tech giants) का इंटरव्यू लिया और बहुत गहराई में जाकर इस विषय में पड़ताल की है कि दिन भर फ़ोन में आँख गड़ाए, सर गुसाए और हज़ारों, लाखों लोगों में लोकप्रिय होने की इच्छा लिए लोगों का क्या भविष्य है। झूठ से संचालित इस दुनिया का क्या भविष्य है। एक रिसर्च से पता चला है कि twitter पर सच्ची न्यूज़ के जगह फ़ेक न्यूज़ ( fake news ) 6 गुना तेज़ी से फ़ैलती है।

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Google में एक बहुत अहम् ओहदे पर काम कर चुके Tristan Harris इस फ़िल्म में ऐसा बहुत कुछ बता रहे हैं जो आपके लिए जानना ज़रूरी है। उनके अपने शब्दों में “जब हम Gmail पर काम कर रहे थे तो हम विचार करते थे कि ये कैसा दिखेगा और इसके कलर्स कैसे होंगे लेकिन चिंता वाली बात ये थी कि कोई ये विचार नहीं करता था कि इसकी लत से कैसे बचा जाएगा।”
THE SOCIAL DILEMMA REVIEW HINDI
Tristan Harris को इन बातों ने इतना परेशान किया कि उन्होंने अपनी बड़ी पोस्ट और लाखों डॉलर्स की कमाई छोड़ दी। इस वक़्त वो Center for Humane Technology को ऑपरेट कर रहे हैं जो एक ऐसा एनजीओ (NGO )है जो टेक्नोलॉजी कंपनियों को ये बताता है कि वो लोगों को इसकी लत न लगने दें, राजनीतिक कट्टरता बढ़ाने वाला कंटेंट रोकें और ग़लत सूचना फ़ैलने से रोकें।
Facebook के लिए लाइक ‘like’ बटन बनाने वाले Justin Rosenstein कहते हैं “हमने ये बटन इसीलिए बनाया था कि दुनिया में प्यार फ़ैले। लोग एक -दूसरे को सराहें। एक-दूसरे के अच्छे पहलुओं की तारीफ़ करें। हमने कभी नही सोचा था कि इसके लिए दीवानगी इतनी बढ़ जाएगी कि टीनएजर्स अपने हाथ की नस तक काटने लगेंगे।”
THE SOCIAL DILEMMA | AMERICAN FILM |
Harvard University की प्रोफ़ेसर Shoshana Zuboff, Pinterest के भूतपूर्व president Tim Kendall, AI Now की पॉलिसी रिसर्च की डायरेक्टर Rashida Richardson, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ( Stanford University ) की Addiction Medicine Fellowship program की director Anna Lembke, और वर्चुअल रियलिटी ( virtual reality ) के जनक (pioneer ) Jaron Lanier जैसे दिग्गज इस डॉक्यूड्रामा के माध्यम से दुनिया को आगाह कर रहे हैं कि किस तरह हमेशा social media से चिपके रहने के कारण आप असली दुनिया से दूर होते जा रहे हैं। आप फ़ैमिली से दूर होते जा रहे हैं। दोस्तों से दूर होते जा रहे हैं।
इंटरनेट और सोशल मीडिया ( social media ) पर कई तरह की थ्योरी चल रही हैं जिनमें से बहुत सारी थ्योरी, एक षड्यंत्र ( conspirational theory ) है। किसी भी व्यक्ति, समूह, जाति, धर्म, नस्ल, राज्य के प्रति लोगों को गुमराह करने और एक-दूसरे के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए social media का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हो रहा है।
THE SOCIAL DILEMMA | SOCIAL MEDIA | CONSPIRACY |
ऐसे समूह हैं जो प्रचार कर रहे हैं कि धरती गोल नही चपटी है ( flat-earthers ), जो मानते हैं कि गोरी चमड़ी वाले “श्वेत” दुनिया की श्रेष्ठ नस्ल हैं और इसीलिए वो अन्य नस्लों का शोषण कर सकते हैं ( white supremacists ), वो प्रोपगैंडा जिसकी वजह से म्यांमार में हज़ारों रोहिंग्या लोगों को मार दिया गया और 7 लाख से भी ज़्यादा लोग विस्थापित हुए( the genocide in Myanmar ) और महामारी 2020 के बारे में ग़लत जानकारियां ( the Covid misinformation )
हम covid19 के अलावा एक और महामारी ( pandemic ) की गिरफ़्त में हैं और वो है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI से नियंत्रित होना। विश्व की सभी अहम् गतिविधियां अब इंटरनेट और सोशल मीडिया ( social media ) से प्रभावित होती हैं। इसे नियंत्रित करने और रोकने के लिए बहुत सारे प्रतिभाशाली लोग सामने भी आ रहे हैं। लगभग 90 मिनट का ये डॉक्यूड्रामा आपको अपने फ़ोन से कई एप्प ( apps ) अनइंस्टॉल करने पर मजबूर कर देगा।
IMROZ FARHAD
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IMROZ FARHAD NOOR is a co-founder and chief blogger of NEEROZ. He studied English Literature and Journalism. A number of articles, stories, short stories, poems have been published in reputed magazines and newspapers. He writes scripts for short movies, web series. He has been a radio announcer.He loves to read Psychology and Philosophy. He spends his spare time in drawing and playing basketball. He loves to travel. He speaks Hindi, English, and Urdu. ( learning Spanish ).
2 billion population aaj bhi jis social media me serve karti hai..
ham aaj bhi sirf apke blog post padhte hain.. bin ruke
Kyunki ye sirf blog nahi hai..
Ye sirf wo bate hain jo sirf reders likh sakte hain.. or reeders samjh sakte hain..
what a spirit. readers likhen, readers padhen aur readers hi janen.