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MOTIVATIONAL STORY
अगर इस ब्लॉग का टाइटल होता ‘घर से भागी लड़की बन गई अधिकारी’ तो शायद ज़्यादा लोग इसे पढ़ते। लेकिन MOTIVATIONAL STORY के इस ब्लॉगर की नज़र में, न वो ज़्यादा लोग मायने रखते हैं, न उससे आने वाला धन। मायने रखती है स्त्री की गरिमा और समाज में वैचारिक स्तर को बढ़ाने के प्रयास ।
शादी के लिए घर से निकल जाने वाले कई लोगों के बारे में आपने सुना होगा। आपने ऐसे लोगों के बारे में भी सुना होगा जो किसी पारिवारिक समस्या के कारण घर से चले गए हों लेकिन क्या आपने ये सुना कि कोई लड़की शादी से बचने और अफ़सर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ गई हो, उस पर भी कमाल ये कि वो अपने सपने को पूरा भी करे। MOTIVATIONAL STORY में आज बात करेंगे पर्वत जैसे मज़बूत इरादों वाली एक युवती की।
संजू रानी वर्मा ने ऑफ़िसर बनने के लिए आज से 7 साल पहले 2013 में घर छोड़ दिया था। इसके बाद खर्च चलाने के लिए नौकरी की । अनगिनत चुनौतियों से जूझीं, मुश्किलों से उलझी। लेकिन सपना पलता रहा। उसे नही रुकने दिया। घर से निकलने के सात साल मेरठ की संजू अब PCS अफसर बन गई हैं। उनका वो ख़्वाब हकीक़त बन गया है। ऐसी हक़ीक़त जिसकी मिसाल दी जा रही है। जिसकी मिसाल हमेशा दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में भारत के सभी राज्यों की तरह राज्य सेवा आयोग ( Public Service Commission, Prayagraj ) है। जो PCS ( Provincial Civil Services ) परीक्षा का आयोजन करता है। उत्तर प्रदेश राज्य की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा से विभिन्न पदों के लिए प्रशासनिक अधिकारी ( Administrative Officer ) चुने जाते हैं। मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) के एक छोटे से गांव में पैदा हुईं संजू का PCS ऑफ़िसर बनने का सफर आसान नहीं रहा । उनका ख़ुद का परिवार, उनके सपने के आगे सबसे बड़ी दीवार बना कर खड़ा था ।
MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
रूढ़िवादी विचारों वाले इस परिवार में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर कोई विशेष गंभीरता नहीं थी, कोई motivation नही था । संजू के 6 भाई-बहन थे। उनके पिता आर सी वर्मा , छोटा सा बिज़नस कर किसी तरह परिवार चला रहे थे। वह बेटियों को सिर्फ़ उतनी कक्षा ही पढ़ाते, जिससे उनकी शादी में समस्या न आए और शादी करने में आसानी हो। लेकिन इस परंपरा ( या कहिए कुप्रथा ) को कभी तो टूटना था । संजू रानी ने अपने इरादों के घन से बेतुकी परंपरा का यह किला ढहा दिया और ग्रैजुएशन किया ।
संजू रानी को पिता का सहयोग भले न मिला हो लेकिन मां हमेशा उसके साथ थीं। संजू की मां भगवती देवी ने पति के विरोध के बावजूद मेरठ के गर्ल्स इंटर कॉलेज में संजू रानी को एडमिशन दिलाया। यहां से उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। अपने ही परिवार में विरोध का सामना करते हुए आर्ट्स से संजू ने ग्रैजुएशन पूरी की। इसके बाद UPSC की तैयारी करने और IAS बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए संजू रानी दिल्ली जाकर तैयारी करना चाहती थीं। परिवार के अंदर इसका विरोध हुआ, लेकिन मां के सपोर्ट से दिल्ली जाने और वहां सिविल सर्विसेज़ की तैयारी का रास्ता भी तैयार हो गया।
उनके पिता और भाई इससे खुश नहीं थे। 2007 में उनके परिवार ने काफ़ी मुश्किल समय देखा। संजू रानी के परिवार ने करीबी रिश्तेदारों में से दो को खो दिया। ऐसे में मां ने संजू को दिल्ली से बुला लिया। संजू का ख्वाब अभी पूरा नहीं हुआ था, लेकिन मां के कहने पर उन्हें इसे अधूरा छोड़कर वापस लौटना पड़ा ।
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2008 में सिविल सेवा एग्जाम की तैयारी कराने वाले एक संस्था के सम्पर्क में वो आई । कोचिंग संचालक अभिषेक शर्मा इस परीक्षा की तैयारी में संजू रानी की मदद करने लगे । पहली बार में ही संजू ने UPSC-2009 की प्रारंभिक परीक्षा में कामयाबी हासिल की । लेकिन मेन्स तक पहुंचते-पहुंचते परिवार का विरोध अधिक मुखर हो गया और संजू को अपने सपनों की परीक्षा छोड़नी पड़ी ।
वक़्त बीतता जा रहा था और वो इस दिशा में कोई विशेष कदम नहीं ले पा रही थीं । उनके जीवन ने उनकी और भी कड़ी परीक्षा लेनी शुरू कर दी । 2013 में, जब संजू की मां गुजर गईं। अब पिता ने उन पर शादी कर घर बसाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
संजू बताती हैं, मैंने महीनों इसका विरोध किया । लेकिन एक शाम बात काफी आगे बढ़ गई । संजू रानी के पिता ने कहा कि इस परिवार में औरतों ने न कभी नौकरी की है न कभी करेंगी । संजू रानी ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि ज़िंदगी में कुछ बनना चाहती हैं । उनके पिता ने कहा “देखे हैं हमने भी ऐसे बहुत जो पढ़-लिख के कलेक्टर ही बन गए।” उस दिन संजू रानी ने तय किया कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए न चाहते हुए भी उन्हें घर छोड़ के जाना होगा ( भाग के नहीं, छोड़ के ) share this motivational story
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इसके बाद संजू के जीवन में अनुराग नाम के एक व्यक्ति का आगमन हुआ । घर से निकलने और PCS परीक्षा में सफल होने तक के सात साल के सफ़र में अनुराग ने हर कदम पर उनका साथ दिया । संजू ने कई स्कूलों में नौकरी की, लेकिन अच्छी सैलरी कहीं नहीं मिली । फ़िर काफ़ी संघर्षों के बाद 44वीं बटालियन के पुलिस मॉडर्न स्कूल में उन्हें करीब 18 हज़ार की नौकरी मिली । इस नौकरी में पैसे थोड़े ठीक मिले पर काम का इतना बोझ बढ़ गया कि दो साल संजू अपने लक्ष्य से दूर हो गईं । अंततः उन्हें जॉब छोड़कर तैयारी करनी पड़ी। इस दौर में भी अनुराग ने साथ दिया ।
3 साल की कड़ी मेहनत के बाद संजू UPPSC ( PCS ) की दो साल लंबी प्रक्रिया से गुज़रीं और लाखों लोगों के बीच से चयनित होकर सफ़लता की नई इबारत लिख दी । अथक परिश्रम और कड़े संघर्ष के बाद उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की PCS परीक्षा में वाणिज्य कर अधिकारी ( COMMERCIAL TAX OFFICER ) चुनी गईं संजू को अब लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करके IAS यानी कलक्टर बनना है ।
हमें पूरा विश्वास है वो इस लक्ष्य को भी ज़रूर हासिल करेंगी। ब्लॉग के बारे में अपने विचार हमें कमेंट में बताइये । इस MOTIVATIONAL STORY को ज़रूर शेयर करें । शायद ये भी किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन जाए ।
IMROZ FARHAD
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IMROZ FARHAD NOOR is a co-founder and chief blogger of NEEROZ. He studied English Literature and Journalism. A number of articles, stories, short stories, poems have been published in reputed magazines and newspapers. He writes scripts for short movies, web series. He has been a radio announcer.He loves to read Psychology and Philosophy. He spends his spare time in drawing and playing basketball. He loves to travel. He speaks Hindi, English, and Urdu. ( learning Spanish ).
अगर आप पूछोगे खुशी क्या है…? हम कहेंगे आपको तरक्की करते देखकर ही खुशी मिलती है..
बहुत शुक्रिया आपका। पढ़ते रहिए।