DAHEJ
शादी के वक्त मां बाप के द्वारा बेटी को तोहफ़े देने की प्रथा आज इतनी बढ़ गई है कि उसने अब भयंकर समस्या का रूप ले लिया है। दहेज़ ने हाल ही में आयशा की जान ली, आयशा ने खुदकुशी करने से पहले साबरमती नदी के सामने मुस्कुराते हुए एक वीडियो बनाई।
आयशा की मुस्कुराहट के पीछे दर्द का वह समंदर था जो साबरमती नदी में समा जाना चाहता था। आयशा जैसी न जानें कितनी ऐसी औरतें हैं जो दहेज के जाल में फंस कर अपनी ज़िन्दगी को या तो जहन्नुम बना लेती हैं या आयशा की तरह खुदकुशी कर लेती हैं।
दहेज को लेकर देश में कानून पहले से मौजूद था 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे और कठोर कर दिया गया। दहेज उत्पीड़न कानून (498A) के अनुसार महिला की शिकायत पर उसके पति और ससुराल वालों की गिरफ्तारी सीधे होगी। इसमें संलिप्त व्यक्ति को 5 साल तक की सजा और 15000 तक का जुर्मना हो सकता है,लेकिन इस क़ानून के बाद भी दहेज उत्पीड़न के केस देश में बढ़ ही रहे हैं।
DAHEJ PRATHA
इंटरनेट पर दहेज़ से जुड़े आंकड़े ढूंढने पर अलग अलग राज्यों में दहेज़ की रेटलिस्ट निकल कर आती है। दूल्हे की कीमत उसकी महीने की सैलरी से लगाई जाती है, दूल्हा किस नौकरी पर है यह भी उसकी कीमत को प्रभावित करता है। कई जगह तो आईएएस दूल्हे की कीमत 1 करोड़ तक होती है। बैंक में काम कर रहे और इंजीनियर दूल्हे का रेट बढ़ता घटता रहता है।
हंसिए मत, यह कोई व्यंग नहीं हमारे समाज की काली सच्चाई है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट मे लिखा था महंगाई के चलते दहेज़ का रेट 25% बढ़ा, मतलब अब लड़की के मां बाप को और ज़्यादा दहेज़ देना होगा, सही भी है, लड़की वाले के घर पर थोड़े ही महंगाई का असर पड़ता है, वह तो हवा खा के जीते हैं। यह भी हमारे समाज का दोगला चेहरा है।
साल 2019 में दहेज प्रताड़ना के अन्तर्गत 5149 मामले दर्ज हुए जो 2018 में 3913 थे। 2015 के एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार हर घंटे एक महिला की हत्या ऐसी होती थी जिसके लिए दहेज ज़िम्मेदार होता था। आंकड़ों में हर साल बदलवा आता रहता है लेकिन दहेज की समस्या ख़तम नहीं होती। बड़ी संख्या में देखा गया है कि महिलाएं दहेज की घरेलू हिंसा से तंग आकर आत्महत्या कर लेती हैं।
DAHEJ PRATHA IN HINDI
महिलाओं में यह जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है कि आत्महत्या से बेहतर तलाक़ होता है, लेकिन इसमें भी हमारे समाज का ही दोष है जिसने आत्महत्या को तो आम बना कर रखा है बनिस्बत कोई औरत तलाक़ लेकर शांति से अपना जीवन जिए उसे पसंद नहीं। ख़ासकर जब महिला की तरफ़ से तलाक़ लेने की बारी आती है तो समाज की नज़र और पैनी हो जाती है जिससे महिला को बेहतर विकल्प आत्महत्या ही लगने लगता है।
दहेज़ लेना और देना दोनों ग़लत है लेकिनदेश के कई हिस्सों में शादियोंमें लड़की वाले दहेज़ के समान को सजा कर रखते हैं, जिससे उनका नाम हो, लेकिन जब एक ग़रीब वह दृश्य देखता है तो वह भी अपनी बेटी को वैसा ही दहेज़ देने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाता है, और दहेज़ देने का यह सिलसिला अनंतकाल तक चलता रहता है।
दहेज़ को सजाया भी बड़े अच्छे ढंग से जाता है। फ्रिज और वाशिंग मशीन के बीच से झांक रहे होतो है बर्तन, मानो अगर बर्तन दहेज़ में न दिए जाएं तो लड़के वालों के घर में खाना ही न बने। अलमारी के ऊपर रखी होती है टीवी और उसके ऊपर मोबाइल का डब्बा, उस सजे हुए दहेज़ को देखकर खैरात देने वाली कटोरी याद आती है जिसमें आंटे के बीच से 10 का सिक्का झांक रहा होता है।
DAHEJ PRATHA NIBANDH
विदाई केसमय लड़के वाले लड़की से पहले दहेज़ को ले जाने की तैयारी करते हैं। दहेज़ के सामान को जब वो कंधे में रखकर ले जा रहे होते हैं तो मानो लगता है वे अपनी गैरत की मैयत को कांधा दे रहे हों।अखबार में भी जब शादी के विज्ञापन आते हैं तो उसमे साफ़ लिखा होता है लड़का इतना कमाता है, मानो वो कह रहे हों कि इतना कमाता हो इतना दहेज़ लगेगा।
एक साहब आयशा वाले मामले में लिख रहे थे कि सरकार ने जिस तरह शोहर को ‘ तीन तलाक़’ एक साथ बोलने को अपराधिक करार दिया है उसी तरह लड़का या उसके घर वालों के मुंह से एक बार भी “दहेज़” शब्द बोलने को भी अपराधिक करार दिया जाए और कड़े कानून बने,मानो जैसे कड़े कानून अभी मौजूद नहीं हैं।
DAHEJ LENA APRADH HAI
दिक्कत कानूनों को कड़ा करने में नहीं असल दिक्कत है हमारे समाज की पूंजीवादी सोच में जो हर चीज़ को पैसों से तौलना चाहता है। लड़की वालों को भी लड़का सरकारी नौकरी वाला ही चाहिएऔर लड़के वाले भी शादी के लिए तब ही राज़ी होंगे जब उनको उनके मन मुताबिक दहेज़ मिलेगा। जब तक यह पूंजीवादी सोच समाज से नहीं मिटेगी तब तक दहेज की प्रथा भी चलती रहेगी।
WRITTEN BY SAJID KHAN
IMROZ FARHAD NOOR is a co-founder and chief blogger of NEEROZ. He studied English Literature and Journalism. A number of articles, stories, short stories, poems have been published in reputed magazines and newspapers. He writes scripts for short movies, web series. He has been a radio announcer.He loves to read Psychology and Philosophy. He spends his spare time in drawing and playing basketball. He loves to travel. He speaks Hindi, English, and Urdu. ( learning Spanish ).