GHAZAL IN HINDI
बम नहीं कोई फटा है, आप चुप रहो
आदमी ही तो कटा है आप चुप रहो
वो वहां हैं, हम यहां, धरती बंटी है
दिल अभी कहां बंटा है, आप चुप रहो
ईमान ,धर्म सब के दाम लग गए हैं
सौदा बहुत चटपटा है, आप चुप रहो
लगाके गले से, गला दबा रहे हैं
प्यार बड़ा अटपटा है, आप चुप रहो
सामने से चोर चंपत हो रहे हैं
चौकीदार भी छटा है,आप चुप रहो
राजधानी कांपती फिर दिख रही है
फिर वहां शकुनि डटा है,आप चुप रहो
“श्याम” लेकर क्या करोगो आईना तुम
चेहरा लफ्जों से पटा है, आप चुप रहो
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सोचती है क्या करें वो खुद रवानी के लिए
के नदी मोहताज है आज पानी के लिए
जुर्म के खिलाफ़ बोलने का ये सिला मिला
हमको जाना जा रहा है बद्जुबानी के लिए
कल आवाम हाशिए में भी रहे या ना रहे
है हुकूमत का सफ़ा पूरा “अडानी” के लिए
है मोबाइल हाथ में सुबह से लेकर रात तक
दादी से रूठते नहीं बच्चे कहानी के लिए
अब झुका के सर खड़े हो जाइए फ़रमान पर
अब कहां गुंजाइशें हैं, आना-कानी के लिए
तू लगा है खोलने आंखें, मसीहा हो रहा
फिर तुझे फांसी मिलेगी सच बयानी के लिए
मां को समझा करके निकला जिंदगी को ढूंढने
बांधके सपने अकेला राजधानी के लिए
-श्याम बैरागी, मंडला मध्यप्रदेश